दीर्घ आयु और आशीषित जीवन का रहस्य
निर्गमन 20ः12 पिता,माता का आदर करने से, नीतिवचन 10ः27 -प्रभु का भय मानने से
भजन संहिता 91ः16 -प्रभु के नाम को जानने से
आप सभी का स्वागत है हमारी आज की सभा में यीशु मसीह के नाम आमीन
हर इंसान चाहता है कि वह दीर्घ आयु और भला और अच्छा जीवन पाए।
उसके लिए लोग दवाइयों, व्यायाम और विशेष आहार को प्रयोग करते है जिससे वे अच्छी सहत पाऐ सवाल यह है कि क्या आप दीर्घ आयु पाना चाहते है-------
क्या आप स्वस्थ जीवन जीना चाहते है,-------
क्या आप आशीषित जीवन जीना चाहते है----- तो बोले आमीन
कैसे कोई दीर्घ आयु और अच्छी सहत और आशीषित यह आशीष जीवन जी सकता है
उसका रहस्य बाईबल बताती है
इसलिए आज का विशय है दीघ आयु और आशीषित जीवन पाने रहस्य
उदहारणः एक चर्च में पास्टर पादरी ने प्रार्थना करते हुए कहा “हे प्रभु, यहाँ बैठे हर व्यक्ति को लंबा जीवन दे।”सबने जोर से आमीन कहा।
पास्टर ने फिर पूछा “कौन स्वर्ग जाना चाहता है?
सबने हाथ उठाए, सिवाय एक बुजुर्ग महिला के।
पास्टर ने कहाः “बहन, आप स्वर्ग नहीं जाना चाहतीं?”
वह बोली पास्टर जी, अभी नही, मैं लंबा जीवन जीना चाहती हूँ!
आज हम परमेश्वर के वचन से दीर्घ आयु औरआशीषित जीवन के चार रहस्य सीखेंगे, और हर बिंदु को एक छोटी सी कहानी से समझेंगे।
1. अपने पिता और माता का आदर करना
इफिसियांे 6ः1-2
आपके शरीरिक माता पिता आप आदर करे आपके आत्मिक माता पिता का आदर करे
आपके पति और पत्नि के माता पिता का आदर करे
क्योकि यह परमेश्वर की आज्ञा है निर्गमन 20ः12
जिससे आप बहुत दिन तक जीवन रहे और भले चंगे रहे
जब आप जब हम माता-पिता का सम्मान, प्रेम और देखभाल करते हैं, तो परमेश्वर हमें आशीष और दीघ आयु से आषीशित करते है।
उदारहणःएक पोते ने अपने दादाजी से पूछा, “दादाजी, आप इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रहे?”दादाजी ने मुस्कुराकर कहा, “क्योंकि मैंने अपने माता-पिता का आदर किया। मैंने उनकी आज्ञा मानी और वृद्धावस्था में उनकी सेवा की। परमेश्वर ने अपना वचन पूरा किया और मुझे लंबा जीवन दिया।”
इससे हम क्या सिखते है जब आप अपने माता-पिता का आदर सिर्फ शिष्टाचार नहीं, बल्कि परमेश्वर की आज्ञा है, और इससे हमें लंबा जीवन मिलता है।
2. परमेश्वर का भय मानना
नीतिवचन 10ः27, परमेश्वर का भय मानने का क्या अर्थ हर प्रकार के बुराइयों से दुर रहना धर्ममय जीवन आयु बढ़ाता हैः “यहोवा का भय जीवन बढ़ाता है, परन्तु दुष्टों के वर्ष घट जाते हैं।”पाप जीवन को छोटा करता है, पाप परमेश्वर से दुर करता है पाप हमारे जीवन से परमेश्वर की आशीष कहा आशीषो को खत्म करता है जबकि धर्ममय जीवन शांति और आयु बढ़ाता है।
नीतिवचन 14ः27, परमेश्वर का भय जीवन बढता है,
उदाहरणः एक आदमी ने पादरी से पूछा “लंबी उम्र का राज क्या है?”
पास्टर जी बोलेः “परमेश्वर का भय मानना।”
आदमी हँसकर बोला “अगर मैं अपनी पत्नी से भी डरूँ, तो क्या और लंबा जीऊँगा?
पास्टर जी ने कहा “हाँ, क्योंकि डरते-डरते तुम गलत कामों से दूर रहोगे। और जिससे तुम्हारी आयु बढेगी और आशीषित जीवन जी पाउॅगें
कि क्योंकी परमेश्वर का भय हमें गलतियों से बचाता है और लंबा जीवन प्रदान करता है।
3. परमेश्वर के वचन पढना और उसमें चलने के द्वारा से
उदाहरण एक बुजुर्ग रोज बाइबल पढ़ते थे। किसी ने पूछा“आप इतना क्यों पढ़ते हैं?”
बुजुर्ग हँसकर बोलेः “क्योंकि मैं चाहता हूँ जब परमेश्वर मेरा नाम ले, तो मुझे बाईबल पढते हुऐ देखकर कहे, अरे, अभी तो यह मेरा वचन पढ़ रहा है, इसे और पढने दो।
नीतिवचन 3ः1-2,4ः10, हम रोज प्रभु का वचन पढना चाहिए और उसके अनुसार चलना चाहिए,जिससे आपकी आयु बढे और आप अधिक कुषल से रहे,
परमेश्वर का वचन जीवन और आयु दोनों बढ़ाता है। भजन संहिता 1ः2-3 कहती हैः
“धन्य है वह मनुष्य... जो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता है... वह उस वृक्ष के समान है जो धाराओं के पास लगाया गया है।”
1राजा 3ः14, व्यवस्था 5ः33, परमेष्वर की आज्ञा मानने से दीर्घ आयु और आषीशित जीवन को हम पाते है उदाहरणः दो वृक्ष: एक गाँव में दो वृक्ष लगाए गए। एक नदी के पास था, जिसकी जड़ें गहरी गईं और वह हर मौसम में हरा-भरा रहा। दूसरा नदी से दूर था, जो केवल बरसात पर निर्भर था। वह जल्दी ही सूख गया। जो परमेश्वर का वचन पढता है और उसके अनुसार चलता है वह उस नदी के किनारे के पेड के समान होगा जो हमेषा हरा भरा रहता है और दीर्घ आयु तक जीता है।
4. परमेश्वर से प्रेम करने केे द्वारा
व्यवस्थाविवरण 30ः20, जो परमेश्वर से प्रेम करते है वे जीवन पाएगे, भजन संहिता 91ः14-16
जब आप परमेश्वर से प्रेम करते है तो परमेश्वर आपकी आयु को बढाते है
उदाहरणः 90 साल का भक्त रोज प्रार्थना करता “हे प्रभु, मैं तुझसे प्रेम करता हूँ।”
लोग पूछतेरू “क्या यही तुम्हारी लंबी आयु का राज है?”
वह कहतारू “हाँ, क्योंकि जब तक मैं उससे प्रेम जताता हूँ, वह मुझे धरती पर रखता है। ताकि मै उसकी महिमा और गवाही दे सकु
5. परमेश्वर की सेवा करने के द्वारा से
व्यवस्थाविवरण 11ः13-15,निगर्मन 23ः25-26, अय्युब 36ः11,
उदाहरणः एक चर्च में एक 85 वर्षीय महिला रोज सेवा करती थी कृ कुर्सियाँ लगाना, बच्चों को कहानी सुनाना, बीमारों के लिए प्रार्थना करना।
लोग पूछतेरू “आप इतनी उम्र में भी थकती नहीं?”
वह मुस्कुराकर कहतीरू “मैं परमेश्वरकी सेवा करती हूँ, और वह मुझे नई शक्ति और लंबा जीवन देता है।”
याद रखे:जो लोग परमेश्वर की सेवा करते हैं, वे थकते नहीं, बल्कि उनकी आयु आशीषित होती है।