Friday, August 15, 2025

मध्यस्था कि प्रार्थना मे सामर्थ

                                                    

                                                               मध्यस्था कि प्रार्थना मे सामर्थ

आप सभी का स्वागत है हमारी प्रार्थना सभा मे,

हम परमेश्वर का धन्यवाद करते है कि परमेश्वर ने मौका दिया कि आज हम उपस्थति मे आ सके,हम परमेष्वर का धन्यवाद करते है  कि उसने हमे जीवित रखा क्योकि यह उसका अनुग्रह हे और हमारी प्रार्थना हे उसका अनुग्रह हम सदा बना रहे 

यहा पर जैसे हम इक्टटा हे हम देखेगे की एक साथ मिलकर प्रार्थना करने मे कितनी सामर्थ है तथा दुसरे के लिए जब हम प्रार्थना करते है तो क्या प्रभाव उन पर आ सकता है 

इसलिए आज का विषय  है                                  मध्यस्था की प्रार्थना मे सामर्थ

मध्यस्था क्या होता है

मध्यस्था दो लोगा,देश ,नगर,या समाज के बीच शन्ति और मेल के लिए कोई तीसरा व्यक्ति कार्य करता है उदाहरण के लिए जब दो देश  मे लडाई या कोई मतभेद होते है तो तीसरा देश उन दोनो के बीच शन्ति लाने के लिए मध्यस्था करता है इसी प्रकार से पापी कि प्रार्थना का उतर परमेश्वर नही देता युहन्ना 9ः30 इसलिए एक धर्मी जिसने अपना सम्बन्ध परमेश्वर के साथ अपने पापो कि क्षमा के साथ किया है वह व्यक्ति परमेश्वर से उन लोगो के लिए परमेश्वर कि दया और अनुग्रह मागता है वह उनके पापो की क्षमा मागता है क्योकि बाईबल बताती है आदम के पाप के कारण सभी मानव जाति परमेश्वर से दुर हो गई और सभी मनुष्य पर परमेश्वर का क्रोध ठहरा है इसलिए जरूरी है कि कोई परमेश्वर से मनुष्यो के लिए मध्यस्था करे, वह मध्यस्था केवल वही कर सकता है जिसके पाप क्षमा हो गये है

मध्यस्था वही कर सकता है जिसने यीशु  मसीह को ग्रहण किया है

मध्यस्था वही कर सकता है जो परमेश्वर का संतान है परमेश्वर पर विष्वास करने के द्वारा से,

मध्यस्था वही कर सकता है जो परमेष्वर कि इच्छा के अनुसार चलता है

बाईबल हमे मध्यस्था करने वालो के बारे मे बहुत कुछ बताती है

मध्यस्था करनेवालो लोगो कि आज के समय बहुत ही जरूरत है मध्यस्था करनेवाले लोग कि आज बहुत ही आवश्यकता  है जहा पर मध्यस्था करनेवाले लोग होगे वहा पर परमेश्वर कि सामर्थ,दया,कृपा होगी

और आज परमेश्वर मध्यस्था करनेवाले कि खोज कर रहा है जब मध्यस्था करनेवाले लोग नही होते है वहा पर बिमारी,परेशनिया,और नाश और विनाश आने लगता है यहेजकेल22ः30 परमेश्वर आज भी ऐसे लोगो को ढुढ रहे है ताकि कोई पापी नाश  ना हो क्योकि परमेश्वरपरमेष्वर किसी पापी के मरने से प्रसन्न नही होता यहेजकेल 18ः32 लेकिन यहेजकेल मे लिखा है 22ः31 वहा पर कोई मध्यस्था करनेवाला नही मिला इस कारण से परमेश्वर का क्रोध भडक उठा और परमेश्वर ने उन्हे दण्ड दिया 

यदि हम मध्यस्था कि भुमिका को सही प्रकार से निभायेगे तो हमारे परिवार मे परमेश्वर का अनुग्रह होगा

तो हमारे कलिसिया मे परमेश्वर का सामर्थ होगी

तो हमारे देश मे परमेश्वर की करूणा और दया होगी

हमारी प्रार्थना है हम मध्यस्था करनेवालो लोगो मे गिने जाऐ 

इसलिए आज के विषय  को हम 3 भागो मे बाटेगे!

1. मध्यस्था कि प्रार्थना करनेवाले लोग

2. मध्यस्था कि प्रार्थना करने का उद्वेश्य 

3. मध्यस्था कि प्रार्थना करने वाले कि योग्यता 

1. मध्यस्था कि प्रार्थना करनेवाले लोग

       उत्पति 18

बाईबल मे ऐसे बहुत सारे लोगो का वर्णन करती है जिन्होने मध्यस्था कि प्रार्थना किया तथा यह भी बताती है कि कैसे उन्होने मध्यस्था कि प्रार्थना के द्वारा व्यक्तिगत जीवन मे, नगर मे , देश  मे ,जाति और परिवार मे परमेश्वर कि दया प्राप्त किया मध्यस्था करनेवाला व्यक्ति प्रार्थना मे मल-युद्व करता है जो मध्यस्था करनेवाला करने वाला कर सकता है वह एक प्रचारक नही कर सकता है जहा पर मध्यस्था करनेवाला खडा होता है वहा पर सुसमाचारक नही खडा हो सकता है

मध्यस्था एक गुप्त सेविकाई है 

एक मध्यस्था करनेवाला व्यक्ति परमेश्वर के न्याय को लोगो पर पढने से रोकता है उत्पति मे हम देखते है

1. इब्राहिम सदोम और अमोरा नगर के लिए प्रार्थना करता है जहा पर वह कभी नही गया 

वहा के लिए परमेश्वर कि दया कि प्रार्थना करता है क्योकि परमेष्वर ने इब्राहिम को कहा था कि मै सदोम और अमोरा को नाश  कर दुगा क्योकि वहा के लोग बहुत ही भ्रष्ट हो गये है 

इसी प्रकार पुराने नियम मे हम ऐसे लोगो को देखते है जिन्होने दुसरे लोगो के लिए प्रार्थना किया

2. मुसा ने इस्रालियो के लिए प्रार्थना किया गिनती 14ः13-14,20,  मे परमेष्वर ने मुसा कि प्रार्थना सुनकर उन को क्षमा किया

3. दानिय्य ने इस्राइलियो के लिए प्रार्थना किया ताकि इस्राईली अपने देश  मे वापस जा सके दानिय्य 9ः3,11

4. नेहम्याह ने परमेश्वर से अपने देष के लिए के लिए प्रार्थना किया ;नेहम्याह 1ः4,9

5. आमोस ने अपने लोगो के लिए प्रार्थना कि ताकि परमेश्वर का क्रोध उन मे से हट जाऐ परमेश्वर ने तीन विपती प्रकार के दण्ड देना चाहता था क्योकि इस्राइलियो ने परमेश्वर के विरूध पाप किया था लेकिन आमोस भविष्यवक्ता ने उन लोगो के लिए प्रार्थना किया और परमेश्वर ने तीनो बार उन पर दया किया अमो 7ः1-6

6. नये नियम की कलिसिया ने बहुत बार विभिन्न व्यक्तियो के लिए प्रार्थना किया

जब पतरस जेल मे था उसे छडाने के लिए प्रार्थना किया प्रेरितो के काम 12ः5,12

7. आन्ताकिया कि कलिसिया ने बरनाबास और पौलुस की सेविकाई के लिए प्रार्थना किया

8. सफलता के लिए प्रार्थना किया प्रेरितो के काम  13ः3

मध्यस्था की प्रार्थना पुराने नियम मे बहुत ही महत्वपुर्ण थी

मध्यस्था की प्रार्थना नये नियम मे बहुत ही महत्वपुर्ण थी

इसी प्रकार से मध्यस्था की प्रार्थना आज भीे बहुत महत्वपुर्ण थी

हमारी प्रार्थना परमेश्वर हमे मध्यस्था करनेवाला बनाये 

ताकि हम अपने घर के लिए प्रार्थना करे ताकि हम अपने देश  के लिए प्रार्थना करे

ताकि हम अपने लोगो के लिए प्रार्थना करे


2. मध्यस्था कि प्रार्थना करने का 

पुराने समय के लोगो कि मध्यस्था कि प्रार्थना का उद्देष्य था कि वे परमेश्वर कि दया दुसरे लोगो पर लाते है जिन पर परमेश्वर का दण्ड आया था या आनेवाला था बाईबल मध्यस्था कि प्रार्थना का उद्देष्य को बडे विस्तार से बताती है 

1. पापी लोगो को पुनःपरमेश्वर मे पास लाने के लिए प्रार्थना किया ताकि उन पर परमेश्वर कि कृपा हो

2. व्यक्तिगत लोगो को खतरे से बचाने के लिए मध्यस्था कि प्रार्थना किया    प्रेरितो के काम 12ः5,15

3. अपने लोगो को आशीष  देने के लिए प्रेरितो के काम 122ः6-8

4. मध्यस्था कि प्रार्थना पवित्र आत्मा कि सामर्थ पाने के लिए प्रेरितो के काम 8ः15-17

5. पासबानो,विश्वासी के लिए ताकि परमेश्वर का वचन हियाब से प्रचार कर सके

6. पापो कि क्षमा कि लिए प्रेरितो के काम 7ः60

7. मसीही विश्वासियों  के उन्नति के लिए फिलिप्पियो 1ः9-11

8. पासबानो के लिए 2तीमुथियुस 1ः3-7

9. परमेश्वर कि इच्छा पुथ्वी पर आने के लिए 

10. माता-पिता अपने बच्चो के लिए 


3. मध्यस्था की प्रार्थना करनेवाले लोगो कि योग्यता

यहेजकेल 22ः30

हम देखते है परमेश्वर अपने लोगो के लिए ऐसे व्यक्ति कि खोज करता है जो संसार के लोगो के लिए प्रार्थना कर सके

इसका अर्थ है वह व्यक्ति के पाप क्षमा पाया हो वह परमेश्वर का ज्ञान रखता हो 

उसे परमेश्वर के चरित्र का ज्ञान हो हम देखते है इब्राहिम,मुसा,दानिय्यल ये तीनो एक पवित्र जीवन जी रहे थे ये तीनो को परमेष्वर ज्ञान था ये तीनो ने अपना समय परमेश्वर के साथ अधिक बिताते थे

इसलिए इब्राहिम कहता है उत्पति 18ः23

क्योकि वह जानता था कि परमेश्वर धमियो को नाश नही करता क्योकि इब्राहिम जानता था कि परमेश्वर दयालु है हम देखते है मुसा ने मध्यस्था किया क्योकि वह परमेश्वर कि प्रतिज्ञा को जानता था इसलिए उसने इब्राहिम के साथ कि गई प्रतिज्ञा को याद दिलाया निर्गमन 32ः13-14,गिनती 14ः18-19,20

मुसा परमेश्वर को जानता था कि वह करूणामय और धीरजवन्त परमेश्वर है और वह क्षमा करनेवाला परमेश्वर है 

यदि आप मध्यस्था करनेवाले बनना चाहते है तो आप के पास ये याग्यता होनी चाहिये

1. आपको नया जन्म लेना होगा आपको अपने सारे पापो कि क्षमा मागनी होगी क्योकि युहन्ना 9ः30

2. आप को यीशु मसीह जो परमेश्वर का पुत्र है उस पर विश्वास करना होगा

3. आप को परमेश्वर कि इच्छा पर चलना होगा

4. आप को संसार के जैसे व्यवहार नही करना 

5. आपको प्रार्थना करनेवाला व्यक्ति बनना होगा  

तब आप किसी के लिए भी प्रार्थना करगे तो परमेश्वर आपकी प्रार्थना का उतर देगा 

यदि आप पापो मे है तो आज अपने पापो की क्षमा मागे और यीशु पर विश्वास करे उसे अपना प्रभु जानकर स्वीकार करे 


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