भजनसहिंता 100:5
आप सभी का स्वागत है हमारी आज की सभा मे यीशु मसीह के नाम से आमीन और आमीन
हमारा परमेश्वर भला है। उसकी भलाई किसी परिस्थिति पर निर्भर नहीं करती चाहे समय अच्छा हो या बुरा, परमेश्वर अपनी प्रकृति में सदा “भला” ही रहता है। मनुष्य बदल सकता है, परिस्थितियाँ बदल सकती हैं, परन्तु परमेश्वर नहीं बदलता।
1. परमेश्वर के भलाई का क्षेत्र
2. परमेश्वर के भलाई को पाऐ हुए लोग
3. परमेश्वर के भलाई को अपने जीवन में पाने के नियम
1. परमेश्वर के भलाई के क्षेत्र
1. परमेश्वर की भलाई उसकी सृष्टि में दिखाई देती हैः उत्पत्ति 1:31
परमेश्वर ने जो कुछ बनाया, आकाश, पृथ्वी, नदियाँ, पेड़, पशु, मनुष्य कृ सब में उसकी भलाई झलकती है। हर सुबह का सूरज, हर साँझ की ठंडी हवा, हर जीवन का श्वास, सब उसकी भलाई का प्रमाण हैं।
2. परमेश्वर की भलाई उसके प्रबन्ध मे दिखाई देता हैंः भजन संहिता 34:10
परमेष्वर इतना भला है कि वह पक्षियों लिए भोजन प्रदान करता है क्योकि वह भला है, भजनसंहिता 104:14, मति 6:26,अयुब 38:41,लूका 12:24,भजनसंहिता 147:9
जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, वह हमारी हर आवश्यकता को पूरी करता है।
वह न केवल आत्मिक रूप से, बल्कि शारीरिक, मानसिक आर्थिक रूप से भी हमारी देखभाल करते है।
3. परमेश्वर की भलाई उसके उद्धार में प्रकट हुई हैः यूहन्ना 3:16, रोमियो 5:8
सबसे बड़ी भलाई यह है कि परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए अपना पुत्र यीशु मसीह दे दिया। क्रूस पर उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान ने हमें जीवन दिया। यही परमेश्वर की सर्वोच्च भलाई है।
2. परमेश्वर के भलाई को पाऐ हुए लोग
1. इस्राएल इस बात के गवाह है कि परमेष्वर ने उन्हें स्वर्ग से मन्ना और पहाड से पीने के लिए पानी दिया था,
2. अब्राहम, इसाहक, हन्ना परमेष्वर के प्रबन्ध के गवाह है कि परमेश्वर उन्हें सन्तान प्रदान किया
3. सुलमान परमेश्वर के प्रबनध का गवाह है इसलिए वह भला है
3. परमेश्वर के भलाई के प्रति हमारा कर्तव्य
1. परमेश्वर के कामो याद रखना हैः भजनसंहिता 103:1-4, हमे याद रखना है कि परमेश्वर ने हमारे पापो को क्षमा किया
2. आज्ञाकारी रहना है: कैसे हम परमेष्वर के भलाई हसानमनद रह सकते है परमेश्वर के वचन की आज्ञाओ को मानकर और उसके वचन अनुसार चल कर,
3. परमेश्वर के प्रति अहसान मन्द होना चाहिएः अर्थात अभारी होना चाहिए दाउद योनातान से बहुत प्रम करता था योनातन ने दाउद की बहुत मदद किया था इसलिए जब योनातान मर गया तो उसने उसके पुत्र को पुरी तरह से देखभाल किया,2एल 9:1-13
4. हमेशा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिएः1थिस्सुलुनीकियो 5:18, भजनसंहिता 107:1
5. हमे पवित्र जीवन जीना चाहिएः1परतस 11:5-16
6. हमे उसकी सेवा करना चाहिए: अयुब 36:11
प्रार्थना
“हे भले परमेश्वर, तू सदा हमारे साथ है। तेरी दया और भलाई हमारे जीवन के हर दिन हमारे पीछे चलती रहती है। हमें सिखा कि हम तेरी भलाई को पहचानें, धन्यवाद दें, और दूसरों के लिए तेरी भलाई का गवाह बनें। यीशु के नाम में, आमीन।”


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